Holi 2022 : होली में संभलकर करें रंगों का इस्तेमाल वरना हो सकती हैं ये परेशानियां.

होली रंगों का त्योहार (Holi-Festival of color) है. ऐसे में होली का त्योहार हो और रंग और गुलाल एक-दूसरे पर न लगा हो तो फिर होली का कोई मायने नहीं रह जाता है. लेकिन रंगों के बेतरतीब इस्तेमाल से सांस संबंधी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. विशेषज्ञ कहते हैं कि रंगों के कारण न सिर्फ स्किन प्रोब्लम से गुजरना पड़ता है बल्कि यह सांस से संबंधित खतरनाक जोखिमों को भी बढ़ा सकता है. विशेषज्ञों के अनुसार रंग में कई तरह के मेटल्स, शीशे के चूर्ण, केमिकल्स और पेस्टीसाइड्स मिले रहते हैं. इसलिए होली के बाद अधिकांश लोग स्किन में बैक्टीरियल इंफेक्शन की शिकायत करते हैं. इसलिए होली में रंगों का सुरक्षित इस्तेमाल करना जरूरी है.

इंडियन एक्सप्रेस की खबर में अपोलो स्पेक्ट्रा मुंबई के डॉक्टर मृणमयी मुकुंद (Dr Mrinmayee Mukund) कहते हैं, होली के बाद कई लोग स्किन में जलन, खुलजी या रैशेज होने की शिकायत लेकर आते हैं. उन्होंने बताया कि रंगों में कई तरह के खतरनाक केमिकल्स मिलाए जाते हैं. इनमें मर्करी, एस्बेस्टस, सिलिका, माइका, लेड जैसे जहरीले रसायन होते हैं. इसमें आंखों की समस्या आम बात है.

अस्थमा, ब्रोंकाइटिस को बढ़ाता है
इसके अलावा आंखों में पानी और सूजन की शिकायतें भी तेज हो जाती है. वोकहार्ड अस्पताल मुंबई की डॉ संगीता चेक्कर कहती हैं, होली के बाद खतरनाक रंग के कारण आंखों की समस्या तो आम बात है लेकिन इससे सांस संबंधी कई दिक्कतें पैदा हो जाती हैं. उन्होंने बताया कि होली में कलर मुंह में प्रवेश कर जाता है जो अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) की स्थितियों को बढ़ा सकता है. इस कारण सांस लेने में दिक्कत, घरघराहट, खांसी और बलगम की मात्रा बढ़ने लगती है.

शीशा बच्चों के लिए घातक
डॉ संगीता चेक्कर ने बताया, रंगों को बनाने में शीशे का इस्तेमाल सबसे ज्यादा घातक होता है. इसका असर सबसे ज्यादा बच्चों पर होता है. इससे बच्चों में अक्षमता भी आ सकती है. उन्होंने बताया कि क्रोमियम के कारण ब्रोकाइटिस, अस्थमा और एलर्जी होती है. इसके साथ मर्करी किडनी, लीवर पर भी असर करती है. यह नवजात शिशु के लिए बहुत घातक होता है. रंगों में मौजूद आइरन प्रकाश के प्रति स्किन की संवेदनशीलता को बढ़ा देता है. इसके अलावा रंगों में मौजूद सिलिका स्किन को ड्राई बनाता है. इसलिए डॉक्टर रंगों के प्रति अलर्ट करते रहते हैं.

सुरक्षित होली कैसे खेलें
डॉ मृणमयी मुकुंद कहते हैं सुरक्षित होली खेलने का सबसे बेहतर तरीका यह है कि ऑर्गेनिक रंगों का इस्तेमाल करें. इसके साथ ही होली खेलने से पहले पूरे शरीर पर तेल लगा लें. आंखों में सनस्क्रीन लगाएं तो ज्यादा बेहतर रहेगा. होली खेलने के दौरान लेंस का इस्तेमाल न करें. अगर आंख में जलन हो तो इसे रगड़ें नहीं, पानी से धोएं. फुल स्लीव वाली सर्ट पहनें. होली खेलने के बाद स्पीरिट, नेल पॉलिस रिमूवर, अल्कोहल या एसेटोन का इस्तेमाल रंग छुड़ाने के लिए न करें. सिर्फ साबुन का इस्तेमाल करें.