What is the rule of taking medicine : दवा और बीमारी में ‘सब चलता है’ एटिट्यूड बिलकुल नहीं चलता बॉस दवाई खाने का क्या है नियम जानिए.

माैसम बदल रहा है। लोग बीमार पड़ रहे हैं। ऐसे में लोग दवा बहुत खा रहे हैं, लेकिन इसे खुद लेते और परिवार के दूसरे सदस्यों को देते वक्त अक्सर कोई न कोई गलती हम सब कर देते हैं। आज जरूरत की खबर में इसी बारे में बात करेंगे। साथ ही समझेंगे कि दवा लेने का सही तरीका क्या है?

डॉ. ललिता शेखर, डायरेक्टर, इंटरनल मेडिसिन, मेदांता, गुरुग्राम उन लोगों के कुछ सवालों का जबाव देंगी, जो दवाई लेने में लापरवाही करते हैं…

सिचुएशन 1- डॉक्टर सुबह दवाई लेने को कहते हैं…

अक्सर कुछ दवाइयों को डॉक्टर सुबह लेने को कहते हैं। अगर हम किसी एक दिन सुबह लेना भूल जाएं, तो क्या उसे दिन में किसी भी समय लिया जा सकता है। या फिर उसे दूसरे दिन ही सुबह लेना होगा?

जवाब– डॉक्टर ने आपको दवाई दी, उसे सुबह लेने को कहा है और किसी एक दिन आप उसे लेना भूल गए। इस सिचुएशन में आपको एक-दो घंटे के अंदर दवाई ले लेनी चाहिए। अगर शाम या रात में आपको यह बात याद आई है, तो दवाई फिर दूसरे दिन ही लेनी चाहिए।

हालांकि, बीपी और शुगर की दवाई के साथ ऐसा नहीं कर सकते हैं। उसे अगले दिन तक डिले नहीं करना चाहिए। एंटीबायोटिक्स भी सही समय पर लेनी चाहिए। एंटीबायोटिक्स को डॉक्टर ने अगर दो या तीन बार लेने को कहा है और कोई एक समय लेना भूल गए तो थोड़ी देर में ले लें।

सिचुएशन 2- बीपी, थायराइड, शुगर की बीमारी वाले जब हो जाएं बीमार

शुगर, बीपी, थायराइड की दवाई रोज लेने वालों को अगर वायरल, इन्फ्लूएंजा हो जाए, तो वे अपनी रेगुलर दवा और सीजनल बीमारी की दवा को कैसे एडजस्ट कर सकते हैं?

जवाब- उन्हें अपनी रोज की दवाई स्किप नहीं करनी चाहिए। सीजनल बीमारी की दवाई को रेगुलर दवाई के साथ लेना ही पड़ेगा। अपनी रेगुलर दवाई के आगे-पीछे के टाइम में फ्लू आदि की दवाइयों को एडजस्ट कर सकते हैं।

सिचुएशन 3- विटामिन डी लेने का सही तरीका क्या है?

आमतौर पर विटामिन डी सप्लीमेंट लोग दूध के साथ लेते हैं। कुछ डॉक्टर दूध के साथ लेने की सलाह भी देते हैं। जिन लोगों को दूध सूट नहीं करता, यानी जिन्हें लैक्टोस इंटॉलरेंस है, क्या वे पानी के साथ विटामिन डी सप्लीमेंट ले सकते हैं?

जवाब- बिलुकल। जिन लोगों को लैक्टोस इंटॉलरेंस हैं, वे विटामिन डी की गोलियों को पानी के साथ ले सकते हैं। दूध के साथ ये गोली लेने की सलाह इसलिए भी दी जाती है क्योंकि दूध में भी विटामिन डी मौजूद होता है।

अब कुछ उन सवालों का जवाब महात्मा गांधी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज इंदौर के एचओडी डॉ. वी. पी. पांडे से जान लेते हैं जो बहुत से लोगों को पता होता है, इसके बावजूद इग्नोर करते हैं… इसलिए सारे सवाल और उसके जवाब दोबारा पढ़ें।

सवाल1- क्या फार्मासिस्ट लिख सकते हैं दवा?

जवाब- नहीं, फार्मासिस्ट या मेडिकल की दुकान वाला कोई भी आपको दवाई लिख कर नहीं दे सकता। दवाई जो आपकी पर्ची पर लिखी है बस उसे डिस्पेंस करने यानी देने का अधिकार है। उसका काम दवा की सही पहचान कर मरीज को बताना है कि इसे कैसे खाना है। यह काम भी वो पर्ची में लिखे निर्देश के आधार पर करता है। अगर पर्ची में लिखी कोई दवाई उसके पास नहीं है तब भी वो खुद से दवा नहीं बदल सकता। उसे संबंधित डॉक्टर को कॉल कर ये बात बतानी होगी। डॉक्टर की सलाह पर ही दवाई बदली जा सकती है।

सवाल2- किसी बीमारी में सेल्फ मेडिकेशन यानी खुद से दवाई खाना कितना नुकसानदायक है?

जवाब- सेल्फ मेडिकेशन यानी दवाई की दुकान से खुद जाकर दवा खरीदना और उसे खाना बेहद खतरनाक है। इससे आपके शरीर को नुकसान होगा। इसे ऐसे समझें कि लोग अक्सर एसिडिटी समझकर गैस की गोली खाते हैं। दो-तीन दिन तक घर पर रहते हैं, मामले बिगड़ने पर समझ आता है कि उन्हें हार्ट अटैक आया था।

याद रखे कि घर में जरूरी दवाई रखना सही है, लेकिन गलत और गैरजरूरी दवाई खाना खतरनाक।

सवाल3- किन दवाओं को डॉक्टर के पर्चे के बिना बिलकुल नहीं लेना चाहिए?

जवाब- शेड्यूल X ड्रग्स को आप डॉक्टर के पर्चे यानी प्रिस्क्रिप्शन के बिना नहीं खरीद सकते हैं। क्योंकि इनका ओवर डोज शरीर को नुकसान कर सकता है। ज्यादा लेने से इन दवाइयों की लत लग सकती है। इनसे बीमारी और दर्द दब जाते हैं, लेकिन ठीक नहीं होते। इसलिए किस मात्रा में दवाई लेनी है यह डॉक्टर ही बताते हैं। इसमें नींद की दवाई और पेनकिलर भी आते हैं। Schedule H में भी रिस्क वाली दवाएं शामिल होती हैं, मसलन एलर्जी की दवाएं। इस कैटेगरी की दवाइयों को बेचते वक्त कैमिस्ट को डॉक्टर की उस पर्ची की एक कॉपी भी रखनी होती है, जिस पर उस दवा का नाम लिखा है।

सवाल4-आपके खाने और दवा के बीच का रिलेशन क्या है? कहने का मतलब क्यों ऐसा कहा जाता है कि दवाई ले रहे हो, समय पर खाना खाओ?

जवाब- दरअसल दवाइयों में कई मॉलिक्यूल होते हैं, जो एसिडिटी पैदा करते हैं। इसलिए डॉक्टर ऐसी सलाह देते हैं। कई बार इसका उल्टा भी होता है। डॉक्टर कुछ दवाओं को खाली पेट लेने की सलाह देते हैं। इसलिए मरीज को जल्दी ठीक होना है, तो अपने डॉक्टर पर विश्वास करते हुए, उनके निर्देश को फाॅलो करना चाहिए।

सवाल5- खुराक बीच में ही छोड़ देना यानी दवाइयों का कोर्स पूरा न करना कितना गलत है?

जवाब- पूरी तरह गलत है। यह एक कॉमन गलती है। हम सब जरा सी राहत मिलते ही दवा साइड में कर देते हैं या कोर्स बीच में ही छोड़ देते हैं। इससे बीमारी दोबारा हो सकती है। आपकी बीमारी सीरियस रूप भी ले सकती है। इसलिए दवा का कोर्स कंप्लीट करें। खासकर एंटीबायोटिक्स को बीच में न छोड़ें। दवा खत्म होने पर डॉक्टर की सलाह लें।

इसके साथ ही दवा पर लिखे निर्देश पढ़ना आदत में शामिल कर लें। गलत दवा लेने से आपको फायदे से ज्यादा नुकसान हो सकता है। इसलिए इन बातों का ख्याल रखें और खुद को सुरक्षित रखें।
ये रिसर्च पढ़ लें, हम भी अमेरिका के लोगों से कम नहीं है

नेशनल सोसाइटी ऑफ फार्मासिस्ट की स्टडी में बताया गया कि अमेरिका के लोग दवा गलत तरीके से खाते हैं। इस स्टडी में उनकी गलतियों की एक लिस्ट बनाई गई। उसके अनुसार ही उन्हें ग्रेड दिए गए।

अब रिजल्ट भी जान लें– स्टडी से यह पता चला कि हर 7 में से एक व्यक्ति दवाओं को खतरनाक तरीके से खा रहा है। सभी वयस्कों को दवा लेने के तरीके में ‘सी’ ग्रेड मिला है। न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में यह रिसर्च पब्लिश हुई। हम भारतीय इस मामले में अमेरिका के लोगों से कम नहीं है।

अंत में बात करते हैं प्रिस्क्रिप्शन पर लिखे शार्टकट के बारे में

डॉक्टर की हैंडराइटिंग देख अक्सर लोग कहते हैं- पता नहीं क्या लिखा है कुछ समझ नहीं आ रहा। हैंडराइटिंग के अलावा आपके प्रिस्क्रिप्शन पर एक और चीज ज्यादातर लोगों को समझ नहीं आती है… वो है मेडिकल टर्मिनोलॉजी के शॉर्टकट।

चलते-चलते दवा लेने के 3 नियम पढ़ लें

थायराइड की दवा ब्रेकफस्ट, चाय या फिर किसी भी चीज को लेने से 30-45 मिनट पहले लेनी चाहिए। अगर खाली पेट लेना भूल गए हैं, तो जब याद आए उसे ले सकते हैं।

एसिडिटी की दवा खाने से 15 से 30 मिनट पहले लेना सही है।

डायबिटीज की दवा आमतौर पर खाने से पहले ली जाती है। इंसुलिन लेने वाले पेशेंट खाने से 5-10 मिनट पहले इसे लें।